अन्धकार और प्रकाश

 

    रात के बावजूद आध्यात्मिक 'प्रकाश' मौजूद हे ।

 

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    प्रकाश को चाहिये कि चेतना को प्रदीप्त करे और अज्ञान की छायाएं सबमें से विलीन हो जायें ।

३० दिसम्बर, ११३६

 

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     अपना हृदय खोलो तो प्रकाश अन्दर प्रवेश करेगा और उसमें निवास करेगा ।

१२ जनवरी, १९४८

 

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     जीवन रात्रि के अन्धकार में एक यात्रा है । भीतरी प्रकाश के प्रति जागो ।

१४ अप्रैल, १९५४

 

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      सभी पर्दो को विलीन हो जाना चाहिये और सभी के हृदयों में प्रकाश को पूरी तरह चमकना चाहिये ।

२४ जून, १९५४

 

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       हर बाधा को गायब हो जाना चाहिये, सत्ता के हर भाग में अज्ञान के अन्धकार का स्थान भगवान् के ज्ञान को ले लेना चाहिये ।

१२ अक्तूबर, १९५४

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    प्रकाश हर जगह है, शक्ति हर जगह है और संसार इतना छोटा-सा है ।

१९५८

 

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   जगत् पर एक नये प्रकाश का उदय हो रहा है । उसे पाने तथा उसका स्वागत करने के लिए जागो और एक हो जाओ ।

१९५१

 

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   ज्ञान की खोज में, अपने अन्धेपन में कुछ लोग उस प्रकाश को त्याग देते हैं जिसमें वे हैं- और उसमें प्रवेश करते हैं जो उनके लिए एक नया अन्धकार है ।

१२ अक्तूबर, १९६४

 

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    अपने अन्धेपन में लोग 'प्रकाश ' को छोड़ देते हैं और ज्ञान पाने के लिए अन्धकार में चले जाते हैं !

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